मेरे कृष्ण कन्हाई

काली अंधियारी रात को जन्म है जिसने पाया, भादो कृष्ण अष्टमी को उस दिन रोहिणी नक्षत्र आया। मोर मुकुट सिर धारण किया है कटि पे सुंदर लंगोट लिया है, कानों में कुंडल विराजे है हाथ में मुरली साजे है। माखन मिश्री चुराके जो खा जाता है, ब्रज की हर बाला को फिर दीवाना कर जाता … Continue reading मेरे कृष्ण कन्हाई